आज आप इस कहानी के माध्यम से सीखेंगे कि लालच करके जीवन में कभी भी सफलता हासिल नहीं किया जा सकता; अगर आप चाहते हैं कि आपके जीवन में सुख, शांति और सफलता आए तो आप लालच से दूर रहें और जो मिले उसमें खुश रहें;
और अपने मेहनत के बल पर सफलता हासिल करें; चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और यहाँ पर दिए जा रहे Moral story in Hindi short को मन लगाकर पढ़ना शुरू करते हैं.
झूठ का मुंह काला| Read Moral Story In Hindi Short For Kids
एक छोटा सा गाँव दीनापुर जहाँ मोती नाम का एक व्यापरी रहता था; उसके दो लड़के थे जिनका नाम मोहन और सोहन था. मोती अपने दोनों बेटों को इतना काबिल और होनहार बनाना चाहता था कि उसके न रहने के बाद उसके दोनों बेटे उसके व्यापार को आगे ले जाएंगे.
मोती का छोटा बेटा सोहन बहुत ही इमानदार और शांत स्वभाव का था जबकि उसका दूसरा बड़ा बेटा मोहन झूठा और चालक था.
मोती अपने दोनों बेटों को अपने व्यपार से जुड़ी हर बात को बता देना चाहता था; वह नहीं चाहता था कि उसके मरने के बाद उसका सारा व्यपार बर्बाद हो जाये.
एक दिन मोती ने अपने दोनों बेटों को अपने पास बुलाया और उनसे कहा कि उसकी तबियत अब ठीक नहीं रहती इसलिए व्यपार की सारी जिम्मेदारी उन्हें लेनी होगी; पर उससे पहले उन्हें व्यपार से जुड़ी रह बात सीखनी होगी.
मोती के बड़े बेटे मोहने ने झूठ बोला कि उसे व्यपार की हर बात अच्छे से समझ में आती है और उसे कुछ भी सीखने की जरूरत नहीं है; इस तरह से झूठ बोलकर मोती का बड़ा बेटा व्यपार की बारीकियों को सीखने से बच गया;
उसका मन व्यपार से ज्यादा दोस्तों के साथ घूमने और टहलने में लगता था; वह व्यापार के माथा-पच्ची में नहीं पड़ना चाहता था.
वही दूसरी तरफ मोती का दूसरा छोटा बेटा सोहन ने सच बोला कि उसे व्यपार के बारे में कुछ नहीं पता इसलिए उसे सीखने की जरूरत है;
वह अपने पिता मोती से व्यपार की बारीकियों को सीखने के लिए तैयार है; उसे चाहे जितना वक्त लग जाए, वह व्यपार को अच्छे से सीखेगा.
मोती अपने बड़े बेटे मोहने के बजाय सोहन पर ज्यादा ध्यान देने लगा; वह उसे बहुत जल्दी व्यपार के बारे में सीखा देना चाहता था क्योंकि उसकी तबियत दिन प्रतिदिन बिगड़ती जा रही थी.
कुछ दिन बाद मोती ने अपने व्यपार को दो बराबर हिस्सों में बांट दिया – एक हिस्सा अपने बड़े बेटे मोहन को दे दिया और दूसरा हिस्सा अपने छोटे बेटे सोहन को सौंप दिया.
व्यपार का बटवारा करने के कुछ ही दिन बाद मोती की मृत्यु हो जाती है. मोती के बड़े बेटे मोहन को व्यपार का आधा हिस्सा मिल गया था पर उसे संभालना मोहन के लिए बहुत मुश्किल था क्योंकि उसे व्यपार करना नहीं आता था;
जब उसे सीखने का मौका मिला था तो वह यह झूठ बोलकर बच गया था कि उसे व्यपार करना आता है; उसे सीखने की जरूरत नहीं है.
वहीं दूसरी तरफ़ मोती का छोटा बेटा सोहन अपने पिता से मिले व्यपार को बहुत ही अच्छे से चला रहा था और यही नहीं दिन-रात मेहनत करके व्यपार को बढ़ा रहा था; ऐसा इसलिए हो रहा था कि वह अपने पिता से व्यपार की रह बारिकी को अच्छे से सीख गया था.
समय बीतने के साथ-साथ मोती के बड़े बेटे मोहन का व्यपार खत्म हो गया; वह एक-एक रुपए के लिए मोहताज हो गया.
वहीं दूसरी तरफ मोती के छोटे बेटे सोहन का व्यपार दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ रहा था और यही नहीं देखते-देखते वह दीनापुर का बहुत अमीर व्यापारी बन गया.
एक झूठ ने मोती के बडे बेटे मोहन को बर्बाद कर दिया जबकि छोटे बेटे सोहन की सच बोलने की आदत ने उसे काबिल बना दिया.
इस कहानी से आपको यह सीख मिलती है कि हमें कभी झूठ नहीं बोलना चाहिए; हमें झूठ तभी बोलना चाहिए जब हमें लगे कि इसे बोलने से किसी को कोई समस्या नहीं होने वाली है.
मैं आशा करता हूँ कि आपको यह Moral story in Hindi short अच्छा लगा होगा; यदि अच्छा लगा तो आप इस शॉर्ट स्टोरी को अपने दोस्तों के साथ शेयर जरुर करें.
Hindi Short Stories For Kids – मैं कर सकता हूँ
एक गाँव में दो लड़के रहते थें जिनका नाम गोलू और मोलू था; गोलू की उम्र तकरीबन बारह साल थी जबकि मोलू पांच साल का था; दोनों में बहुत गहरी दोस्ती थी.
दोनों साथ-साथ हर काम करते थें; साथ-साथ पढ़ते थे, खाते थे, नहाते थे और स्कूल भी साथ ही जाते थे.
स्कूल उनके गाँव से लगभग पांच किलोमीटर दूर था; दोनों पैदल ही स्कूल आते जाते थें; उनमें एक बुरी आदत थी – स्कूल से लौटते समय रास्ते में पड़ने वाले उस कुंवा में झांकते थे जो एक सुनसान जगह पर था; वहाँ कोई आता जाता नहीं था.
एक दोपहर गोलू और मोलू स्कूल से लौट रहे थे; और हर दिन की तरह वे आज भी उस कुएँ के पास पहूँचे जहाँ वे अक्सर जाते थें.
यह सत्य कहा गया है कि हर दिन एक तरह नहीं होता है; गोलू जो बारह साल का था, कुएँ की तरफ झूका, उसका पैर फिसला और वह कुएँ में जा गिरा; शुक्र है कुएँ में पानी नहीं था वरना गोलू डूब जाता क्योंकि उसे तैरने नहीं आता है.
गोलू जोर-जोर से चीखने लगा, “बचाओ! बचाओ! ”
यह सब देखकर मोलू जो पांच साल का है घबराने लगा; उसे आस-पास कोई नजर नहीं आ रहा था जिससे वह मदद मांग सके; वह यहाँ वहाँ देखा कोई नज़र नहीं आया सिवाय एक रस्सी के जिसे वह लिया और कुएँ में डाल दिया और अपने दोस्त गोलू से कहा, “रस्सी पकड़ो, मैं तुम्हें ऊपर खींचता हूँ.”
गोलू ने मोलू की बात मानी और रस्सी पकड़ लिया; मोलू ने जोर लगाकर रस्सी खींचा और गोलू थोड़ी मशक्कत के बाद बाहर आ गया.
जब वे गाँव पहुंचे तो उन्होंने अपने साथ घटी सारी घटना गाँव वालों को बतायी लेकिन कोई विस्वास करने के लिए तैयार नहीं था; गाँव वालों का कहना था कि कभी भी पांच साल का बच्चा बारह साल के लड़के को बिना किसी की मदद के गहरे कुएँ से बाहर नहीं निकाल सकता; ऐसा करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है.
गाँव वालों के बीच एक समझदार दादा थें, उन्होंने गाँव वालों को यह विश्वास दिलाया कि गोलू और मोलू सच बोल रहे हैं.
गाँव वालों ने बुढ़े दादा से पुछा कि पांच साल का बच्चा बिना किसी की मदद के बारह साल के लड़के को गहरे कुएँ से बाहर कैसे निकाल सकता है.
बुढ़े दादा ने जवाब दिया, “कुएँ के आसपास मतलब दूर तक कोई नहीं था जो उस पांच साल के बच्चे को यह बता सके की वह बारह साल के लड़के को गहरे कुएँ से बाहर नहीं निकाल सकता.”
गाँव वालों को गोलू और मोलू की बात पर विश्वास हो गया कि ऐसा हो सकता है; जबतक कोई हमें यह न बताए कि यह नहीं किया जा सकता.
मुझे उम्मीद है कि आपको इस Moral story in Hindi short यह सीखने को मिला होगा कि इस दुनिया में कुछ भी असंभव नहीं है; अगर करने के लिए ठान लिया जाये.
Hindi Moral Short Story – दूर की सोच और आगे बढ़
एक गाँव में राम और श्याम नाम के दो लड़के थें जो दिन भर आवारों की तरह यहाँ वहाँ भटकते थे; वे अपने खर्चे के लिए थोड़ा बहुत पैसा कमाना चाहते थे.
जिस गाँव में वे रहते थे उस गाँव के लोग पीने और घर के बाकी कामों के लिए गांव से दूर तालाब से पानी ले जाते थे; उन्हें पानी ले जाने में बहुत मुश्किल होती थी और इस काम में उनका बहुत समय चला जाता था.
राम और श्याम अक्सर तालाब के पास ही रहते थे; उन्होंने लोगों को गाँव से दूर आकर पानी लेने में जो परेशानी होती है उसके बारे में बात करते हुए सुना और उनके मन में एक विचार आया कि क्यों न वे गाँव वालों से बात करें कि वे उनके घर तक तालाब से पानी पहुंचाएंगे और इसके बदले में कुछ पैसे लेंगे.
गांव वाले उनके विचार से सहमत हो गए कि अब वे कुछ पैसे देकर उन्हीं से पानी लेंगे.
राम और श्याम तालाब से पानी भरकर गाँव तक ले जाते थे जिसके बदले उन्हें कुछ पैसे मिलते थे; कुछ सालों तक ऐसे ही चलता रहा.
एक दिन राम के मन में यह विचार आया कि क्यों न तालाब से पाईप लाईन के जरिए पानी सीधा गाँव तक पहुंचाया जाए; इस बारे में उसने श्याम से कहा तो श्याम ने सीधा मना कर दिया; उसने कहा जिस तरह से मैं काम करता आ रहा हूँ उसी तरह से करता रहूंगा.
श्याम की इस बात को सुनकर राम बिना उसकी मदद के तालाब से सीधा पाईप लाईन के जरिए गाँव तक पानी पहुंचाने का संकल्प लिया और थोड़े संघर्ष के बाद वह इस योजना में सफल हो गया.
गांव वाले राम के बिछाए हुए पाईप लाईन के जरिए पानी लेना शुरू कर दिए; अब राम बैठकर पहले से ज्यादा पैसा कमा रहा था जबकि श्याम का काम बंद हो चुका था क्योंकि गांव वाले उससे पानी लेना बंद कर दिए थे.
इस कहानी से यह सीख मिलती है कि हमें समय के साथ चलना चाहिए और भविष्य के बारे में योजना बनाना चाहिए.
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मैं आशा करता हूँ कि आपको यह Moral story in Hindi short for kids पढ़ना अच्छा लगा होगा; यदि हां तो इस moral story को अपने दोस्तों को शेयर करें।