” यू केन ऑल्सो स्पीक इंग्लिश- भाग-1 “
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लेखक की कलम से…………….
अगर आप किसी इंस्टिट्यूट में अंग्रेजी सीख रहे हैं पर समस्या आपके साथ यह है कि आप अंग्रजी बोलने की शुरुआत नहीं कर पा रहे हैं और नहीं अंग्रेजी बोलने का माहौल बन पा रहा है तो देर किस बात की है- चलिए कहानी-कहानी में अंग्रेजी बोलना सीखते है :
CHAPTER-1
पप्पू , एक देहाती लड़का जो बहुत मुश्किल से पास हुआ था ।
लोगो का कहना था कि पप्पू लाईफ में कुछ नहीं कर सकता; पर उसे किसी की बात की परवाह नहीं थी ।
उसे लाईफ में कुछ कर गुजरने की चाहत थी; शायद इसी चाहत की वज़ह से उसे पास होने के बाद एक अच्छी नौकरी की चाहत थी और इसे पाने के लिए वह हाँथ-पाँव चला रहा था ।
आखिरकार काफी मशक्त के बाद पप्पू की किस्मत उस पर मेहरबान हो गयी । उसे एक मल्टीनेशनल कंपनी से कॉललेटर आ ही गया; जैसे ही उसके हाँथ कॉललेटर लगा- खुशी के मारे उसका दिल बल्लियों उछलने लगा ।
वह खुशी से चहकते हुए दूसरे के खेत में काम कर रहे अपने पिता के पास गया ।
” पिता जी, अब आपको किसी दूसरे की मजदूरी नहीं करनी पडेगी । ” पप्पू अपने कॉललेटर को अपने पीछे छुपाते हुए कहा, ” अब आप सिर्फ और सिर्फ आराम करेंगे । “
” तू बावला हो गया है, क्या ! ” पप्पू के पिता जी ने अधीरता से कहा, ” कहीं तुम्हारी लॉटरी तो नहीं लग गयी । “
” अरे, नहीं पिता जी, यह देखिए ! ” पप्पू कॉललेटर हवा में लहराते हुए कहा, ” मुझे नौकरी मिलने वाली है- कल मेरा इंटरव्यू है, अगर मैं इंटरव्यू में पास हो गया तो समझो मेरी नौकरी पक्की ! “
” क्या वाकई तुम नौकरी करने जाओगे ! “
पप्पू ने नहीं में सिर हिलाया और सभी इंटरव्यूवर उस पर हँस पड़े । पप्पू का दिल डूब गया; वह मायूस था, और वह अपनी सीट में धँसा जा रहा था ; उसका हाँथ-पाँव काँप रहा था और उसके दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी ।
” मैं मानता हूँ कि मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब करना हर किसी का सपना होता है – ” पहले इंटरव्यूवर ने सख्त लहजे में कहा , ” और बिना अंग्रेजी जाने यहाँ चले आना – सरासर बेवकूफी है । ”
” अगर तुम्हे अंग्रेजी नहीं आती , ” दूसरे इंटरव्यूवर ने कहा । ” तो फिर तुम इस कंपनी में काम कैसे कर सकते हो ? हमें अच्छी अंग्रेजी बोलने वाले लोग चाहिए – समझे ; जाओ और जाकर अच्छी अंग्रेजी सीखो; उसके बाद कंपनी का चक्कर लगाना , ठीक है ! आज के जमाने में बिना अंग्रेजी सीखे तुम तरक्की नहीं कर सकते ; और नहीं अच्छी कंपनी में जॉब कर सकते हो । ”
” सर, अगर मुझे अच्छी अंग्रेजी बोलने आ जाएगा – ” पप्पू थोड़ी हिम्मत जुटाते हुए कहा , ” तो क्या मुझे इस कंपनी में नौकरी मिल जाएगी ? ”
” इस कंपनी में क्या – इससे बड़ी कंपनी में तुम्हे नौकरी मिल जाएगी । ” इंटरव्यूवर ने कहा, ” जओ और जाकर अंग्रेजी सीखो । “
” जी सर ! ” पप्पू बोला और वह निराश अपनी कुर्सी से उठा; सीधा ऑफिस से बाहर आ गया ।
” अंग्रजी – अंग्रेजी – अंग्रेजी ! ” पप्पू ऑफिस के बाहर गली में नीरस आवाज़ में बड़बड़ाता हुआ जा रहा था । ” क्या बिना अंग्रेजी के नौकरी नहीं मिल सकती ! “
” क्यों नहीं मिल सकती – ” गली में झाड़ू लगा रहे एक नवजवान ने कहा , ” देखो, मैं भी तो नौकरी कर कहा हूँ ! “
” पर मुझे तुम्हारी तरह झाड़ू लगाने वाली नौकरी नहीं करनी है । ” पप्पू तपाक से बोला , ” मुझे तो साहब बनना है । “
” साहब बनना है – ” झाड़ू लगाने वाले ने कहा, ” क्या तुम्हें साहब लोंगों की तरह अंग्रेजी आती है ? “
” न-न-न-नहीं आती ! “
” फिर तो तुम्हें झाड़ू ही लगाना होगा । “
” बिल्कुल नहीं, मैं तुम्हारी तरह हारने वाला इंसान नहीं हूँ – ” पप्पू जोशीले अंदाज़ में बोला , ” मैं अंग्रेजी सीखूँगा और साहब बनूँगा । “
” पर – ”
” पर क्या ? “
” अंग्रेजी बोलना तो बहुत मुश्किल है । “
” मुश्किल है – पर नामुमकीन तो नहीं । ” पप्पू ने कहा और चलता बना । झाड़ू लगाने वाला उसे बहुत देर तक निहारता रहा और अपना बाल नोचता रहा ।
और इस तरह पप्पू अंग्रेजी न बोल पाने और समझने की कमी की वजह से इंटरव्यू में फेल हो गया; और निराश घर लौट आया ।
जैसे ही पप्पू गाँव पहुँचा; गाँव के लड़के उसे देखकर उसकी ओर भागते हुए आए और उसे घेर लिये ।
” अरे, वा ! पप्पू, तुम आ गये ! ” गाँव के एक लड़के ने कहा, ” कैसा रहा , तुम्हारा इंटरव्यू ? “
” अब मै अंग्रजी सीखूँगा, फिर नौकरी करुँगा । ” पप्पू निरश आवाज़ में बोला , ” बिना अंग्रेजी के कुछ भी पाना आसान नहीं है । ”
” मतलब ! ” गाँव का दूसरा लड़का बोला, ” तुम इंटरव्यू में फेल हो गये ? ”
” बिना अंग्रेजी के हमें अच्छी नौकरी नहीं मिल सकती । ” पप्पू बिना कोई जवाब दिए अपनी बात कहता रहा , ” अगर हम अच्छी नौकरी चाहते हैं तो हमें अंग्रेजी सीखनी ही होगी । ”
” पर पप्पू , तुम्हें तो अंग्रेजी में कुछ नहीं आता ! ” गाँव के तीसरे लड़के ने मुस्कुराते हुए कहा, ” मुझे नहीं लगता कि तुम्हें अंग्रेजी आ सकती है । ”
” मैं मानता हूँ कि मुझे अंग्रेजी नहीं आती पर मैं कोशिश तो कर सकता हूँ । ” पप्पू जोशीले अंदाज में बोला, ” मैं तुम सब को फर्राटेदार अंग्रेजी बोल कर दिखाऊँगा । ”
” पप्पू कहने को तो लोग बहुत कुछ कहते हैं; पर करके दिखाओ तो जानें । ”
” हाँ-हाँ- मैं करके दिखाऊँगा । ” पप्पू बोला , ” मैं तुम सबको फर्राटेदार अंग्रेजी बोलकर दिखाऊँगा । “
पप्पू घर पहुँचा और उसका उदास चेहरा देखकर उसके पिता जी का दिल डूब गया ।
” अरे ! पप्पू बेटा, तुम आ गये ! ” पप्पू के पिता जी ने कहा जिसका दिल डूबता जा रहा था । ” क्या हुआ तुम इतने उदास क्यों हो ; तुम्हारे इंटरव्यू का क्या हुआ ? “
” पिता जी , शहर में चारों तरफ अंग्रेजी का बोल-बाला है ! ” पप्पू उदास मन से बोला ! ” शहर में, हम जैसे अंग्रेजी न बोलपाने वालों को कोई पूछता भी नहीं है । ”
” साफ – साफ बताओ, क्या हुआ ? “
” मैं इंटरव्यू मैं फेल हो गया, पिता जी । “
” तू इंटरव्यू में फेल हो गया ; वो कैसे ? “
” पिता जी, मुझे अंग्रेजी नहीं आती और बिना अंग्रेजी के नौकरी मिलना मुश्किल है । “
” क्या ? “
” हाँ, पिता जी , बिना अंग्रेजी के नौकरी पाना आसान नहीं है । ”
” तो फिर अब क्या करोगे ? “
” अंग्रेजी सिखुँगा फिर नौकरी की तलाश करुँगा । “
” फिर देर किस बात की है- जाओ और जाकर अंग्रेजी सीखो । ”
” जी पिता जी , मै सोच रहा हूँ कि शहर जाकर अच्छी अंग्रेजी सीख लूँ । “
” सोचो मत ! कल से तुम अंग्रेजी सीखने जाओ । ”
” ठीक है, पिता जी ! ” पप्पू बोला , ” मैं कल से ही अंग्रेजी सीखने जा रहा हूँ । ”
अगले दिन पप्पू अंग्रेजी सीखने के जूनून के साथ शहर की ओर चल पड़ा ।
पप्पू जिस बस में सफर कर रहा था ; उसकी नज़र उस बस में बैठी उस लड़की पर थी जो मोबाईल पर अंग्रेजी बात किए जा रही थी :
” हाऊ आ यू ; ह्वेन वील यू रिटर्न हियर ;
या, आय् हैव् टोल्ड् हीम् अबाऊट् ईट्
एवरी थिंग् ईज़् गोइंग् वेल् ;
वॉट् आ यू डूईंग् दिस् टाईम् .
ओके, सी यू टुमॉरो .”
पप्पू को उस लड़की की एक भी बात समझ में नहीं आयी । बहरहाल, वह उस लड़की की फर्राटेदार अंग्रेजी सुनकर हक्का – बक्का रह गया ।
जैसे ही उस लड़की ने मोबाईल पर बात करनी बंद की ; पप्पू उसके करीब गया ।
” मैं पप्पू, ” उसने हिम्मत जूटाते हुए कहा । ” आप कौन ? ”
” आय् अम् रीना । ” उस लड़की ने कहा , ” वेल् वॉट्स दैट् – आय् मीन् – कहो क्या काम है ? “
” दीदी, आप बहुत अच्छी अंग्रेजी बोलती हैं ! “
” हाँ, तो ! “
” मैं भी आप की तरह अंग्रेजी बोलना चाहता हूँ – क्या ऐसा हो सकता है ? “
” हाँ, क्यों नहीं । ”
” पर कैसे ? ” पप्पू ने उदासी भरे लफ्जों में कहा , ” मुझे तो अंग्रेजी कुछ नहीं आता । “
” अरे, यार – तुम तो दिमाग खाने लगे । ” उस लड़की ने झूँझलाते हुए कहा , ” अंग्रेजी सीखना है, तुम्हें ? “
” हाँ ! “
” तो विवेकानन्द एकेडमी ज्वाईन करो – और अंग्रेजी बोलना शुरु करो । “
” विवेकानन्द एकेडमी ! “
” यस् ! ” वह लड़की थोड़ा रोमांचित होकर बोली , ” विवेकानन्द एकेडमी जाओ प्रदीप सर से अंग्रेजी सीखो । “
” पर दीदी, मै वहाँ पहुचुँगा कसे ? “
” प्रदीप सर का मोबाईल नम्बर लेलो । “
” बताईए, दीदी ! ” पप्पू खुश होकर बोला । ” दीदी, मैं आपका यह एहसान कभी नहीं भुलूँगा । “
” इट्स ओके ( ठीक है । ) लिखो – 8400689197 “
” 8400689197 “
” यह प्रदीप सर का नम्बर है – इस पर बात कर लेना ; वे जैसा कहेंगे – वैसा करना, ठीक है । “
” ठीक है , दीदी , आपका बहुत – बहुत धन्यवाद ! ” पप्पू बोला और दुबारा अपनी सीट पर जाकर बैठ गया ।
जैसे ही पप्पू शहर पहुँचा ; उसने 8400689197 पर बात की ।
” हेलो ! सर, मैं पप्पू ! ” पप्पू उत्सुकता से फोन पर बोला ” सर, मुझे अंग्रेजी सीखनी है , ठीक है, सर, पता बताइए । “
पप्पू दोपहर लगभग एक बजे बताए हुए पते पर पहुँचा ।
” क्या मैं अंदर आ सकता हूँ ! सर । ” उसने बहुत ही शालीनता से कहा ।
” हाँ – हाँ – आ जाओ । ” प्रदीप सर ने कहा , ” तुम्ही ने फोन किया था ? “
” हाँ, सर । ” पप्पू आफिस के अंदर आते हुए बोला, ” सर, अंग्रजी न आने की वजह से एक अच्छी – खासी नौकरी मेरे हाँथ से चली गयी । “
” चिन्ता मत करो ; इससे भी ज्यादा अच्छी नौकरी मिल जाएगी । ” प्रदीप सर ने सात्वना देते हुए कहा, ” तुमने अपना क्या नाम बताया था ? “
” पप्पू ! “
” अच्छा पप्पू, यह बताओ – मुझमें और तुममें क्या अंतर है ?”
” सर, बहुत अंतर है । ”
” कोई भी अंतर नहीं है – मेरे पास भी दो हाँथ है ; तुम्हारे पास भी है ; मेरे पास एक नाक है – तुम्होरे पास भी ; तुम्हारे दो आँख – मेरे भी दो आँख और तुम्हारे दो पैर – मेरे भी दो पैर ; मुझे अंग्रेजी आती है – तुम्हे भी आ जाएगी । ”
” क्या सचमुच सर , मुझे अंग्रेजी बोलनी आ जाएगी ! “
” अंग्रेजी बोलना आसान नहीं है ! ” प्रदीप सर ने कहा और पप्पू के चेहरे की रंगत फिकी पड़ गयी । ” बहुत आसान है ! ” जब प्रदीप सर ने यह बात कही तब जाकर पप्पू की जान में जान आयी ।
” सर, कितना अच्छा होगा जब मैं फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने लगूँगा । ”
” पर “
” पर क्या सर ? “
” जैसा मैं कहूँगा – वैसा तुम्हे करना पड़ेगा – क्या तुम कर पाओगे ? “
” हाँ सर, मैं अंग्रेजी सीखने के लिए कुछ भी कर सकता हूँ । “
” शाबाश ! ” प्रदीप सर ने पप्पू को शाबाशी देते हुए कहा , ” मुझे तुमसे यही उम्मीद थी ; तुम्हे अंग्रेजी बोलने से कोई रोक नहीं सकता है ; कल से तुम अंग्रेजी सीखना शुरु कर दो – ठीक है । ”
” ठीक है , सर ! ” पप्पू संकल्प भरे भाव से बोला , ” आपका अनुशरण करुँगा तो मुझे उम्मीद है – मुझे अंग्रेजी आ जाएगी । ”
शाम होते – होते पप्पू गाँव लौट गया । अगली सुबह पप्पू अंग्रेजी सीखने की जूनून के साथ उठा और समय पर विवेकानन्द एकेडमी पहुँच गया ……..
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